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jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Fazl Ahmad kariim Fazli's Photo'

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

1906 - 1981

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली के शेर

अहल-ए-हुनर के दिल में धड़कते हैं सब के दिल

सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है

है सख़्त मुश्किल में जान साक़ी पिलाए आख़िर किधर से पहले

सभी की आँखें ये कह रही हैं इधर से पहले इधर से पहले

ग़म-ए-दौराँ में कहाँ बात ग़म-ए-जानाँ की

नज़्म है अपनी जगह ख़ूब मगर हाए ग़ज़ल

नक़ाब उन ने रुख़ से उठाई तो लेकिन

हिजाबात कुछ दरमियाँ और भी हैं

आँखों का तो काम ही है रोना

ये गिर्या-ए-बे-सबब है प्यारे

फ़रेब-ए-करम इक तो उन का है इस पर

सितम मेरी ख़ुश-फ़हमियाँ और भी हैं

हमारे उन के तअल्लुक़ का अब ये आलम है

कि दोस्ती का है क्या ज़िक्र दुश्मनी भी नहीं

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