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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Firaq Gorakhpuri's Photo'

फ़िराक़ गोरखपुरी

1896 - 1982 | इलाहाबाद, भारत

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में विख्यात, जिन्होंने आधुनिक उर्दू गज़ल के लिए राह बनाई/अपने गहरे आलोचनात्मक विचारों के लिए विख्यात/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में विख्यात, जिन्होंने आधुनिक उर्दू गज़ल के लिए राह बनाई/अपने गहरे आलोचनात्मक विचारों के लिए विख्यात/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित

फ़िराक़ गोरखपुरी की चित्र शायरी

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम

कोई समझे तो एक बात कहूँ

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम

कोई समझे तो एक बात कहूँ

तुम्हें क्यूँकर बताएँ ज़िंदगी को क्या समझते हैं

ये माना ज़िंदगी है चार दिन की

ये माना ज़िंदगी है चार दिन की

तेरे आने की क्या उमीद मगर

ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त

अब तो उन की याद भी आती नहीं

ये माना ज़िंदगी है चार दिन की

मैं हूँ दिल है तन्हाई है

कोई समझे तो एक बात कहूँ

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