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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Insha Allah Khan Insha's Photo'

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

1752 - 1817 | दिल्ली, भारत

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

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ग़ज़ल

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

फ़सीह अकमल

गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही

फ़सीह अकमल

टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा

फ़सीह अकमल

दीवार फाँदने में देखोगे काम मेरा

फ़सीह अकमल

नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया

फ़सीह अकमल

या वस्ल में रखिए मुझे या अपनी हवस में

फ़सीह अकमल

है तिरा गाल माल बोसे का

फ़सीह अकमल

है मुझ को रब्त बस-कि ग़ज़ालान-ए-रम के साथ

फ़सीह अकमल

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