तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
शेयर कीजिए
उड़ गई पर से ताक़त-ए-परवाज़
कहीं सय्याद अब रिहा न करे
शेयर कीजिए
पुस्तकें 1
kulliyat-e-Hasrat
1966
जुरअत क़लंदर बख़्शशिष्य
तनवीर प्रेस, लखनऊ
Recitation
join rekhta family!
You have exhausted 5 free content pages per year. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.