जव्वाद शैख़
ग़ज़ल 24
अशआर 16
मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ
मुझे किसी पे भी अब कोई ए'तिबार नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
क्या है जो हो गया हूँ मैं थोड़ा बहुत ख़राब
थोड़ा बहुत ख़राब तो होना भी चाहिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं चाहता हूँ मोहब्बत मुझे फ़ना कर दे
फ़ना भी ऐसा कि जिस की कोई मिसाल न हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता है
अब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए