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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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ज़ीशान साहिल

1961 - 2008 | कराची, पाकिस्तान

प्रमुख उत्तर-आधुनिक शायर/अपनी नज़्मों के लिए मशहूर

प्रमुख उत्तर-आधुनिक शायर/अपनी नज़्मों के लिए मशहूर

ज़ीशान साहिल

ग़ज़ल 14

नज़्म 131

अशआर 13

मैं ज़िंदगी के सभी ग़म भुलाए बैठा हूँ

तुम्हारे इश्क़ से कितनी मुझे सहूलत है

किस क़दर महदूद कर देता है ग़म इंसान को

ख़त्म कर देता है हर उम्मीद हर इम्कान को

गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है

वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है

खिड़की के रस्ते से लाया करता हूँ

मैं बाहर की दुनिया ख़ाली कमरे में

कितने हैं लोग ख़ुद को जो खो कर उदास हैं

और कितने अपने-आप को पा कर भी ख़ुश नहीं

नस्री-नज़्म 3

 

पुस्तकें 10

 

चित्र शायरी 4

 
 

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