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क़सीदे

किसी की प्रशंसा में लिखी जाने वाली नज़्म को क़सीदा कहा जाता है। क़सीदा किसी की निंदा और बुराई करने के लिए भी लिखा जाता है और इस सूरत में इसे ‘हज्व’ कहते हैं। क़सीदा गज़ल की तरह होता है जिसकी शुरुआत आम तौर पर मतले से होती है और बाक़ी के शेर एक ही क़ाफ़िए में होते हैं।

1797 -1869

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

1723 -1810

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

1713 -1781

18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन

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