रुबाई मुस्ताज़ाद
मुस्तज़ाद का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना या बढ़ाना। सामान्यातः जिस छंद में ग़ज़ल या नज़्म कही जाती है उसी के हर मिसरे के आगे एक मिसरा बढ़ा कर मुस्तज़ाद लिखा जाता है।
उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है