aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अल्लाह-रे फ़रेब-ए-मशिय्यत कि आज तकदुनिया के ज़ुल्म सहते रहे ख़ामुशी से हम
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँहम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की हैऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे
तर्क-ए-आदत से मुझे नींद नहीं आने कीकहीं नीचा न हो ऐ गोर सिरहाना तेरा
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करताहमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
किसे ज़िंदगी है अज़ीज़ अब किसे आरज़ू-ए-शब-ए-तरबमगर ऐ निगार-ए-वफ़ा तलब तिरा ए'तिबार कोई तो हो
ये है मय-कदा यहाँ रिंद हैं यहाँ सब का साक़ी इमाम हैये हरम नहीं है ऐ शैख़ जी यहाँ पारसाई हराम है
चारा-गर यूँ तो बहुत हैं मगर ऐ जान-ए-'फ़राज़'जुज़ तिरे और कोई ज़ख़्म न जाने मेरे
क्या हुई तक़्सीर हम से तू बता दे ऐ 'नज़ीर'ताकि शादी-मर्ग समझें ऐसे मर जाने को हम
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुदरंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम
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