aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",8c5"
85لڑکوں نے معرکہ میں کیے اپنے اپنے نام
کربلا موت کو دیوانہ بنا دیتی ہے 85
85شہ بولے تم سمجھتے ہو ناچار ہے حسین
سرخی سے اس صحیفہ پہ اعراب کیجئے 85
85اک دفعہ خود روم کیا اس نے زیب سر
इक़बाल 85
वहीद इशरत
शोध
Muntakhab Afsane 1984-85
नन्द किशोर विक्रम
अफ़साना
शुमारा नम्बर-85
मौलवी अब्दुल हक़
उर्दू, दिल्ली
Shumara Number-875
अब्दुल मलिक सलीम
Oct 1999अल-हसनात, रामपुर
Shumara Number-805
Aug 2005नूर
Shumara Number-885
Apr 2012नूर
Shumara Number-855
Oct 2009नूर
Shumara Number-835
Feb 2008नूर
825
Apr 2007नूर
845
Dec 2008नूर
अकबर का तसद्दुक़ मरी औलाद जला दे
अपनी बहू और लड़कों समेत शहर-ब-शहर पेट पालने की ख़ातिर फिरती रही। आख़िर अपने एक अज़ीज़ के हाँ जो कि ख़ुशक़िस्मती से हवेली ध्यान सिंह में रहता था, आ गई और उसके लड़के मोचीगिरी करने लगे उसके मुतअल्लिक़ वो कुछ पहले भी जानते थे।जम्मू की ठाटदार ज़िंदगी और उसके तमाम हालात वहीं रह गए। लेकिन जहां तक मैंने उसे यहां जिस ग़ुर्बत की हालत में देखा है, मैं तो यही समझता हूँ कि वो एक बहुत ही ऊंचे दर्जे की औरत है। ऐसी औरतें बहुत कम दुनिया मैं पैदा होती हैं। उसकी ज़ात बहुत ही बुलंद और बे मिसाल है। 85 साल की उम्र होने को आई लेकिन घर का सब काम काज ख़ुद करती है।
फिर वो ख़ामोश गर्दन झुकाए, लंगड़ाता हुआ चलने लगा। लोकेलिटी की ख़ामोश गली में एक लैम्पपोस्ट के क़रीब आहिस्ता-आहिस्ता चल रहा था। इस के कानों में किसी उड़ते हुए कबूतर के परों की फड़ा फड़ाहट थी।तुम कदिर में चला गया बेबी.....उम तुमको कदिर में ढ़ूढ़ने जाएगा..... कदिर में? यसवा मसीह उम कदिर में जाएगा, बोलो...... बोलो.....?
85اک سر کو پھر سناں سے اتارا بہ درد و غم
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books