aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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आर्थर इंडोर हिल
लेखक
जानथन एन. सी. हिल
सुना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन मेंमिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्यादाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
सबसे प्रख्यात एवं प्रसिद्ध शायर. अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई साल कारावास में रहे।
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर। उनकी कुछ ग़ज़लें ' बाज़ार ' और ' गमन ' , जैसी फिल्मों से मशहूर
Heer Waris Shah
सय्यद वारिस शाह
शायरी
Aap Musafir Aap Hi Manzil
मोमिन इक़बाल उस्मान
अशआर
Jalaluddin Rumi And His Tasawwuf
हरेंद्रचन्द्र पॉल
सूफीवाद दर्शन
ग़ालिब-दि मैन एंड हिज़ वर्स
पी.एल. लखन पाल
संकलन
लतीफ़ी ही लतीफ़े
नुदरत जहाँ
मनोरंजन
तक़सीम-ए-हिन्द 1947
मंसूर अहमद
राजनीतिक
क़िस्सा हीर
Asli Heer Waris Shah
दिल ही तो है
एमली ज़ोला
नॉवेल / उपन्यास
गीत ही गीत
मीराजी
गीत
मक़ामात-ए-वारिस शाह
अली अब्बास जलालपुरी
शायरी तन्क़ीद
Dastan-e-Heer
अब्दुल हमीद अदम
मसनवी
Qissa Heer Ranjha
अब्दुल ग़नी शौक़
दास्तान
Heer Sayyad Waris Shah
शैख़ अब्दुल अज़ीज़
हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुमतुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगेया'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्तसब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
न उस को मुझ पे मान थान मुझ को उस पे ज़ोम ही
मुझ पे ही ख़त्म हुआ सिलसिला-ए-नौहागरीइस क़दर गर्दिश-ए-अय्याम पे रोना आया
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँवर्ना क्या बात कर नहीं आती
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाएअब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ताएक ही शख़्स था जहान में क्या
तुझ से कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मिराऔर तिरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
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