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नज़्म
तन्हाई
गुल करो शमएँ बढ़ा दो मय ओ मीना ओ अयाग़
अपने बे-ख़्वाब किवाड़ों को मुक़फ़्फ़ल कर लो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो
रख़्त-ए-दिल बाँध लो दिल-फ़िगारो चलो
फिर हमीं क़त्ल हो आएँ यारो चलो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
वाँ दिल में कि सदमे दो याँ जी में कि सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है