aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بنیان"
बयान मेरठी
1840 - 1900
लेखक
ज़हीन बीकानेरी
born.1979
बयान यज़दानी
1850 - 1900
शायर
बयान अकबराबादी
मतबा फैज़ बुनीयाद मुंशी काली प्रशाद, मक़बूलगंज
पर्काशक
सय्यद बुनियाद अली
सय्यद बुनियाद हुसैन जाह
लारेंस बिन्यन
फरखुंडा बुनियाद हैदराबाद
इंतिशारात बुनियाद-ए-फ़रहंग, ईरान
अंजुमन एआनत-ए-नज़र बंदान-ए-इसलाम, दिल्ली
वाहिद किताब बुनियाद बेसत, तेहरान
बुनियाद अंदेशा इस्लामी
संपादक
सययद बुनियाद हूसैन ख़ान जाह
बुनयाद ज़हीन
“ऊँ” मैं मचल गई, बेगम जान ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं। अब भी जब कभी मैं उनका उस वक़्त का चेहरा याद करती हूँ तो दिल घबराने लगता है। उनकी आँखों के पपोटे और वज़नी हो गए। ऊपर के होंट पर सियाही घिरी हुई थी। बावजूद सर्दी के पसीने की नन्ही-नन्ही...
कुछ दिनों से मोमिन बहुत बेक़रार था। उसको ऐसा महसूस होता था कि उसका वजूद कच्चा फोड़ा सा बन गया था। काम करते वक़्त, बातें करते हुए हत्ता कि सोचने पर भी उसे एक अजीब क़िस्म का दर्द महसूस होता था। ऐसा दर्द जिसको वो बयान भी करना चाहता तो...
मौसम बहुत वाहियात क़िस्म का था। सवा चार बज चुके थे। सूरज ग़ुरूब होने की तैयारियां कर रहा था लेकिन मौसम निहायत ज़लील था। पसीना था कि छूटा जा रहा था। ख़ुदा मालूम कहाँ से मसामों के ज़रिए इतना पानी निकल रहा था। सुरेंद्र ने कई मर्तबा ग़ौर किया था...
शहनाज़ ने गुल से कहा, "किसी भले घर का मालूम होता है बेचारा।"...
जिस रास्ते कान की लौंगें गई थीं उसी रास्ते फूल पत्ता और चाँदी की पाज़ेब भी चल दी और फिर हाथों की दो-दो चूड़ियाँ भी जो मँझले मामूँ ने रंडापा उतारने पर दी थीं। रूखी-सूखी ख़ुद खा कर आए दिन राहत के लिए पराठे तले जाते, कोफ़्ते, भुना पुलाव महकते।...
बच्चों की भावनाओं को दर्शाती हुई शायरी
मार्सिया अरबी शब्द "रसा" से लिया गया है जिसका अर्थ है मृतकों के लिए शोक करना और उनके गुणों का वर्णन करना। उर्दू में, यह शैली ज़ियादा-तर इमाम हुसैन की प्रशंसा और कर्बला की त्रासदी के वर्णन के लिए आरक्षित है।
ज़ीशान साहिल उर्दू कविता के एक अनोखे और संवेदनशील लहजे के कवि हैं, जिन्होंने आधुनिक दौर की जटिल भावनाओं को सरल लेकिन गहरे रूपकों के माध्यम से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में एक मौन विरोध, एक तहदार आलोचना, और एक बौद्धिक कोमलता पाई जाती है जो पाठक को झकझोर देती है। उनके यहाँ दुख, ख़ामोशी और समय जैसे विषयों का सौंदर्यपूर्ण चित्रण मुख्य रूप से मिलता है।
बनियाبَنِیا
व्यापार करने वाला व्यक्ति, व्यापारी, वैश्य
बयानبَیان
कथन, किसी विद्वान का कथन, बात, बातचीत
बिनियाبِنِیَہ
दे. ‘बुनीयः’, दोनों शुद्ध है।
बुनियादبُنیاد
किसी इमारत वग़ैरा का वो हिस्सा जो ज़मीन के अंदर होता है, आधार, नींव
Deewan-e-Faiz-e-Bunyan
नवाब मोहम्मद सुफ़ अली खाँ बहादुर
बयान-ए-ग़ालिब
आग़ा मोहम्मद बाक़र
व्याख्या
Islam Ka Maashi Nazariya
मज़हरुद्दीन सिद्दीक़ी
इस्लामियात
अरूज़ आहंग और बयान
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
छंदशास्र
Zatal Nama
जाफ़र ज़टल्ली
शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा
Inshaiya Ki Buniyad
सलीम अख़्तर
लेख
इल्म-ए-बयान
नसिरुद्दीन मोहम्मद असदुर रहमान क़ुद्सी
Shumara Number-001
यासमीन हमीद
बुनियाद
Al-Qaul-ul-Jameel Fi Bayani Sawa-is-Sabeel
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
समा और अन्य शब्दावलियाँ
Bayan-e-Meer
अहमद महफ़ूज़
आलोचना
Tareekh Masjid-e-Nabawi
मोहम्मद मेराजुल इस्लाम
Urdu Ke Asaleeb-e-Bayan
सय्यद मोहीउद्दीन क़ादरी हादी
Tareekh-e-Aurangabad Khujista Bunyad
मौलवी अब्दुल हई
सांस्कृतिक इतिहास
Dastan-e-Ameer Hamzah Zabani Bayaniya, Bayan Kuninda Aur Samayeen
व्याख्यान
Arooz, Aahang Aur Bayan
भाषा एवं साहित्य
हमने सही सही बता दिया, झूम ही तो गए। कहने लगे, "मैं भी एक साल उधर काट चुका हूँ। वहां के बाजरे की खिचड़ी की तो दूर दूर तक धूम है।" मज़ीद जिरह की हममें ताब न थी। लिहाज़ा उन्होंने अपने आप को हमारे हाँ मुलाज़िम रख लिया। दूसरे दिन...
मैंने कहा, “अस्बाब कहाँ है आपका?” “लाती हूँ।” ये कह कर वो डिब्बे के अंदर दाख़िल हुई। दो सूटकेस और एक बिस्तर निकाला। मैंने क़ुली बुलवाया। स्टेशन से बाहर निकलते हुए उसने मुझ से कहा, “मैं होटल में ठहरूंगी।”...
एक भाई है सो वो भी मिलिट्री मैन है... साल भर बाद जब आता है तो वो फ़ासले उबूर नहीं किए जा सकते जो उसकी अदम मौजूदगी पैदा करती है। सरताज क्या तुम मेरी बहन बनना गवारा करोगी? बोलो सरताज, क्या तुम मुझे अपना भाई बनाओगी? आह सरताज, कहो क्या...
عشق کرنے کے اراد ے سے وہ اکثر اوقات اپنی گلی کی نکڑّ پر دریوں کی دکان پر جابیٹھتا تھا۔ یہ دکان سعید کے ایک دوست کی تھی،جو ہائی سکول کی ایک لڑکی سے محبت کررہاتھا۔ اس لڑکی سے اس کی محبت لدھیانے کی ایک دری کے ذریعے سے پیدا...
वो शख़्स कुछ दूर फ़सील के साथ-साथ चलता रहा। फिर एक गली में होता हुआ दुबारा शहर के अंदर पहुँच गया। हम बदस्तूर उसके पीछे लगे रहे। वो बाज़ार में चलते-चलते एक पनवाड़ी की दुकान पर रुक गया। हम समझे कि शायद पान खाने रुका है। मगर न तो उसने...
जब तक शौकत वहां रहा, बड़े हंगामे रहे, क्रेवन ए के सिगरेट और नासिक की हिरन मार्का व्हिस्की जो बड़ी वाहियात थी। लेकिन इस के सिवा और कोई चारा ही न था। शौकत 'ख़ानदान' के बाद गो बहुत बड़ा डायरेक्टर बन गया था। मगर लाहौर से बंबई पहुंचने और वहां...
बुनयान-ए-उम्र सुस्त है और मुनइ'मान-ए-दहरमग़रूर अपने को शक-ए-आली बिना के हैं
अगर आपको ऑस्कर वाइल्ड की राय से इत्तफ़ाक़ है कि आर्ट का असल मक़सद क़ुदरत की ख़ामकारियों की इस्लाह और फ़ित्रत से फ़ी सबील अल्लाह जिहाद है, तो लाज़िमी तौर पर ये मानना पड़ेगा कि हर बदसूरत औरत आर्टिस्ट है। इसलिए कि होश सँभालने के बाद उसकी सारी तग-ओ-दो का...
हामिद ने कुछ देर सोच कर एक ठिकाना बताया। टैक्सी ने उधर का रुख़ किया। थोड़ी ही देर के बाद बंबई का सबसे बड़ा दलाल उनके साथ था। उसने मुख़्तलिफ़ मुक़ामात से मुख़्तलिफ़ लड़कियां निकाल निकाल कर पेश कीं मगर हामिद को कोई पसंद न आई, वो नफ़ासतपसंद था। सफ़ाई...
कमरे की सारी खिड़कियां बंद थीं, मगर वो बाहर गली में हवा की मद्धम से मद्धम गुनगुनाहट बड़ी आसानी से सुन सकता था। इस गुनगुनाहट में उसे इंसानी आवाज़ें सुनाई दीं। एक दबी-दबी चीख़ दिसंबर की आख़िरी रात की ख़ामोशी में चाबुक के ओल की तरह उभरी, फिर किसी की...
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