aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "جماتا"
मोहम्मद लुत्फी जुमा
लेखक
मोहम्मद बशीर जुमा
अमीरी पर ग़रीबी का वो यूँ सिक्का जमाता हैकिराया तक नहीं लेता मगर चड्डी खुलाता है
किसी पे धोंस जमाता तो दुम उठा लेताकिसी से धोंस जो खाता तो दुम दबा लेता
“तो जा कर पण्डित बाबा से कह आओ। ऐसा न हो कहीं चले जाएँ।” दुखी, “हाँ जाता हूँ, लेकिन ये तो सोच कि बैठेंगे किस चीज़ पर?”...
ऊपर तले दो तीन फ़िल्म कामयाब हुए जितने रिकार्ड थे सब टूट गए। दौलत के अंबार लग गए। शोहरत आसमान तक जा पहुंची। झुँझला कर उसने ऊपर तले दो-तीन ऐसे फ़िल्म बनाए जिनकी नाकामी अपनी मिसाल आप हो के रह गई। अपनी तबाही के लिए कई दूसरों को भी तबाह...
ग़ुलाम गर्दिश के अहाते में हलीमा झूटन खाकर पलती रही। उसे नवाब दुल्हन के दालान तक रींग कर आने की इजाज़त ना थी। गंदगी और ग़लाज़त में वो मुर्ग़ियों और कुत्ते के पिल्लों के साथ खेल कूद कर बड़ी हुई। बे-हया मूई हलीमा जीती गई। नायाब बो बो का दस...
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
रेख़्ता ने अपने पाठकों के अनुभव से, प्राचीन और आधुनिक कवियों की उन पुस्तकों का चयन किया है जो सबसे अधिक पढ़ी जाती हैं.
ऐसे अशआर का मजमूआ जिस में शायर ऐसे दो शेर कहे जिनका एक अर्थ निकलता है। जिसमे दूसरे शेर का अर्थ पहले शेर के अर्थ पर आधारित हो। ऐसे दो शेरो को हम क़िता कहते हैं। अगर एक ग़ज़ल में एक से ज़ियादा क़त'आत का इस्तिमाल हुआ हो तो उस ग़ज़ल को क़िता-बन्द ग़ज़ल कहते हैं।
जाताجاتا
going, gone
क्या जाताکیا جاتا
क्या बिगड़ता, क्या हानि होती
माताماتا
जन्म देने वाली स्त्री, जननी, माँ
समाताسماتا
ऐसी स्त्री जो माता के समान हो, सौतेली माँ, मौसी
Urdu Ka Ibtedai Zamana
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
आलोचना
Deewan-e-Hazrat Ali
हज़रत अली
दीवान
Ajaibaat-e-Farang
यूसुफ़ खां कम्बल पोश
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Zatal Nama
जाफ़र ज़टल्ली
शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा
Hamari Paheliya
सय्यद यूसुफ़ बुख़ारी
पहेली
Shah-Rah-e-Zindagi Par Kamyabi Ka Safar
Kashif-ul-Haqaiq
इम्दाद इमाम असर
Tareekh-e-Falasifat-ul-Islam
इस्लामिक इतिहास
Kya Qafila Jata Hai
नसरुल्लाह खाँ
स्केच / ख़ाका
Aabida
बिलक़ीस हाश्मी
उपन्यास
Chalo Main Haar Jata Hun
मंसूर राठोर
काव्य संग्रह
रास्ता ये कहीं नहीं जाता
शीन काफ़ निज़ाम
संकलन
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
महाबीर ने क़रीब आकर पूछा, "क्या हुआ है? बताती क्यों नहीं? किसी ने कुछ कहा है? अम्माँ ने डाँटा है? क्यों इतनी उदास है?" मुलिया ने सिसक कर कहा, "कुछ नहीं, हुआ क्या है। अच्छी तो हूँ।"...
دنیا ایک میدانِ کارزار ہے۔ اس میدان میں اسی سپہ سالار کو فتح حاصل ہوتی ہے جس کی آنکھیں موقع شناس ہوتی ہیں، جو موقع دیکھ کر جتنی سرگرمی اور جوش سے آگے بڑھتا ہے اتنے ہی جوش اور سرگرمی سے خطرے کے مقام سے پیچھے ہٹ جاتا ہے۔ یہ...
اچھے لفظ بھی جب بری نیت سے استعمال کیے جاویں تو برے ہو جاتے ہیں۔ آپ بڑے عالم ہیں، کہنے والے کی نیت سے بڑے جاہل کے معنوں میں ہو جاتا ہے مگر ہم کیوں کسی کی نیت کو بد قرار دیں۔ ہم کو تعجب ہے کہ وہ لوگ جو...
ہمارے عہد کے ادبی مباحث کا المیہ یہ رہاہے کہ بعض الفاظ اور اصطلاحات کو اچھی طرح سمجھے بغیر ہم ان پر ایسے حکم لگا دیتے ہیں کہ ان کا کردار صرف مسخ شدہ صورت میں ابھرتا ہے۔ روایت کا لفظ بھی انہیں بدنصیب الفاظ کی صف میں شامل ہے۔...
और सचमुच मेरे ऊपर थोड़ी देर तक एक अ'जीब सी कैफ़ियत तारी रही, उस रूह परवर ख़याल ने मेरे पूरे जिस्म-ओ-जान में एक वजदानी कैफ़ियत पैदा करदी और मैं सोचने लगी, कि वाक़ई अगर मैं शौहर बन जाती तो क्या होता, लेकिन इतना ही तो काफ़ी नहीं होता कि मैं...
यूँ तो इस कॉलोनी में मुसव्विरी और बुत तराशी का भी ख़ासा चर्चा था मगर लोग सबसे ज़्यादा गाने-बजाने के रसिया थे। रेडीयो पर मौसीक़ी के प्रोग्राम तो ज़ौक़-ओ-शौक़ से सुने ही जाते थे। कभी-कभी इन क्वार्टरों में म्यूज़िक पार्टियाँ भी मुनअक़िद होतीं जिनमें शहर के मशहूर-मशहूर गाने वालों को...
जो गर्द कर के ख़ुदा उड़ाता तो उड़ते गर्द-ए-मलाल हो करजो संग कर के ख़ुदा जमाता तो जम के लौह-ए-मज़ार होते
ये इश्तिहार ऑस्कर वाइल्ड के एक घटिया से ड्रामे “वीरा” के उर्दू तर्जुमे का था जो मैंने और मेरे लंगोटिए हसन अब्बास ने मिलकर किया था, और इस्लाह अख़तर शीरानी से ली थी। बारी साहब ने जो मेरे और हसन अब्बास दोनों के गुरू थे। इस तर्जुमे में हमारी मदद...
پدما خود انہیں خیالات کی لڑکی تھی اور بہن کی تاکید نے اس کے خیالات اور بھی مستحکم کردیے۔ بی اے میں تو تھی ہی۔ امتحان میں اس نے اول درجہ حاصل کیا۔ قانون کا دروازہ کھلا ہوا تھا۔ دو سال میں اس نے قانون بھی اول درجہ میں پاس...
विद्या सागर चुप हो गया था। उसने भिक्षुओं को ऊँची आवाज़ों से बोलते सुना, लड़ते देखा और चुप हो गया, सुनता रहा, और चुप रहा, फिर उनके बीच से उठा और नगर से बाहर नगर बासियों से एक शाल के पेड़ के नीचे समाधि लगा कर बैठ गया, और कंवल...
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