aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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रहमान फ़ारिस
born.1976
शायर
फ़ारिस मुग़ल
लेखक
शोबा-ए-उर्दू फ़ारसी, पेशावर यूनीवर्सिटी
पर्काशक
अंजुमन-ए-फ़ारसी, बल्लीमारान, दिल्ली
मरकज़ तहक़ीक़ात फ़ार्सी ईरान-ओ-पाकिस्तान
मरकज़ तहक़ीक़ात फ़ार्सी ईरान-ओ-पाकिस्तान, इस्लामाबाद
शोरा गुसतरश-ओ-ज़बान अदबियात फ़ार्सी
मददगार उर्दू फ़ारसी गवर्मेन्ट कॉलेज हैदराबाद
इंतिशारात मर्कज़ तहक़ीक़ात फ़ारसी ईरान-ओ-पाकिस्तान, रावलपिंडी
शोबा-ए-फ़ार्सी कश्मीर, श्रीनगर
शोबा-ए-फ़ारसी मुस्लिम युनिवर्सिटी, कश्मीर, श्रीनगर
अरबी, फ़ारसी रिसर्च इंस्टीट्यूट, राजस्थान
उर्दू फ़ारसी सोसाएटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ
मर्कज़ तहक़ीक़ाते-फ़र्सी, नई दिल्ली
बख़्श फ़ारसी दानिशगाह, दिल्ली
मेरा फ़िहरिस्त से निकाल दो नाममैं तो ख़ुद से मुकर गया कब का
थैले ने ये सुन कर एक अजीब सा क़हक़हा बुलंद किया और मुझ से कहा, “थैला सिर्फ़ ये बताने चला है कि वो गोलियों से डरने वाला नहीं।” फिर वो अपने साथियों से मुख़ातिब हुआ, “तुम डरते हो तो वापस जा सकते हो।” ऐसे मौक़ों पर बढ़े हुए क़दम उल्टे...
तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनानयारों ने इतनी बात पे ख़ंजर उठा लिया
तीन नौजवान ऐंग्लो इंडियन लड़कियाँ उन तस्वीरों को ज़ौक़-व-शौक़ से देख रही थीं। एक ख़ास शान-ए-इस्ति़ग़ना के साथ मगर सिन्फ़-ए-नाज़ुक का पूरा पूरा एहतिराम मल्हूज़ रखते हुए वो भी उनके साथ साथ मगर मुनासिब फ़ासले से उन तस्वीरों को देखता रहा। लड़कियाँ आपस में हंसी मज़ाक़ की बातें भी करती...
वहाँ उन्होंने इस शग़फ़ की जानिब इशारा करते हुए जो मरहूम को अपनी मौत से था, मुझे आगाह किया कि ये ड्रामा तो जन्नत मकानी तो अक्सर खेला करते थे। आधी-आधी रातों को अपनी होने वाली बेवाओं को जगा-जगा कर धमकियाँ देते कि मैं अचानक अपना साया तुम्हारे सर से...
महिलाओं की आत्मकथाओं का चयन
यहां अरबी किताबें पढ़ें। इस पृष्ठ में मानक अरबी पुस्तकें हैं, जिन्हें रेख्ता ने ईबुक पाठकों के लिए चुना है।
उर्पदू में र्तिबंधित पुस्तकों का चयन
फ़ारसीفارسی
ईरान देश की भाषा
फ़ारिसفارِس
घोड़े का सवार, घुड़सवार, अश्वारोही
फ़िरासतفِراسَت
दक्षता, प्रवीणता, चतुरता, चातुरी, दानाई, किसी बात को देख या सुनकर फौरन ताड़ जाना, सामुद्रिक, समझदारी, बुद्धिमानी, अक़्लमंदी
फ़ेहरिसفِہرِس
सूची, क्रमबद्ध लिखित नक़्शा
आसान उर्दू की फेहरिस्त-ए-अल्फ़ाज़
सीखने के संसाधन
Angrezi Istilahon Aur Muhavaron Ki Jadeed Sahafati Farhang
सैय्यद राशिद अशरफ़
शब्द-कोश
Kutub Khana Nawab Salar Jung Marhum Ki Urdu Qalmi Kitabon Ki Wazahati Fahrist
नसीरुद्दीन हाश्मी
Fehrist Nuskha-e-Khatti Farsi
सय्यद आरिफ़ नवशाही
इतिहास
Fehrist Makhtutat-e-Tibbi
सय्यद क़मरुल हसन
औषधि
Jaiza-e-Anees
अस्करी सफ़दर
मर्सिया तन्क़ीद
देहली की दरगाह शाह अबुल ख़ैर के मख़तूतात की फ़ेहरिस्त
शाइस्ता ख़ान
Fahrist-e-Makhtootat-e-Shirani
हाफ़िज़ महमूद शीरानी
पाण्डुलिपि
Catalogue of The Urdu Manuscripts In The India Office Library
उर्सुला सिम्स-विलियम्स
देहली के उर्दू मख़तूतात की वज़ाहती फ़ेहरिस्त
सलाहुद्दीन
कैटलॉग / सूची
Fahrist-e-Kutub
Novel
Fahrist-e-Makhtootat Urdu, Raza Library Rampur
इम्तियाज़ अली अर्शी
अठ्ठारवीं सदी की उर्दू मत्बूआत
सलीमुद्दीन कुरेशी
भाषा एवं साहित्य
दो चारपाइयाँ इस तौर पर खड़ी करदीं कि उनके पाए आमने-सामने हो गए उनपर एक पर कम्बल-दरी या चादर डाल दी। कमरा तैयार हो गया। घर में बच्चों को इस तरह का हुजरा बनाने का बड़ा शौक़ होता है। यहाँ वह उन तमाम बातों की मश्क़ करते हैं जो माँ-बाप...
यानी हम ये नहीं कह सकते कि फ़ुलां शे’र में शायरी नहीं है, क्योंकि इसका मौज़ू ग़ैर शायराना है। इस तरह शे’र की पहचान या तारीफ़ या तन्क़ीस जो भी हो सकती है सिर्फ़ फ़न-ए-शेर के हवाले से हो सकती है। अहम तरीन मौज़ू पर भी कहा हुआ शे’र शायरी...
मगर... मगर उस वक़्त तो मुझे अपने गर्म कोट की जेब में दस रुपये का नोट एक बड़ा ख़ज़ाना मा’लूम हो रहा था! दूसरे दिन शम्मी ने मेरा कोट कोहनियों पर से रफ़ू कर दिया। एक जगह जहाँ पर से कपड़ा बिल्कुल उड़ गया था, सफ़ाई और एहतियात से काम...
फ़िहरिस्त मरने वालों की क़ातिल के पास हैमैं अपने ही मज़ार में हूँ भी नहीं भी हूँ
चौधरी ने टोका, “बकवास मत करो जो वाक़िया है, उसे बयान करो।” प्रकाश मुस्कुराया, “तो सुनिए... पंद्रह दिन तक मेरा दोस्त इश्क़ के ज़बरदस्त हमले के असरात दूर करने में मसरूफ़ रहा और सोचता रहा कि उसे जल्दी वापस चला जाना चाहिए। उन पंद्रह दिनों में उसने काग़ज़ पेंसिल लेकर...
ग़ालिब: (नहीफ़ आवाज़ में) दम-ए-वापसीं बरसर-ए-राह है...
फ़र्क़ इतना है कि मर्द पहले बहस करते हैं, फिर लड़ते हैं। औरतें पहले लड़ती हैं और बाद में बहस करती हैं। मुझे सानी-उल-ज़िक्र तरीक़ा ज़्यादा माक़ूल नज़र आता है, इसलिए कि इसमें आइंदा समझौते और मेल मिलाप की गुंजाइश बाक़ी रहती है। रहा यह सवाल कि एक चारपाई पर...
अब वो किसी बिसात की फ़ेहरिस्त में नहींजिन मनचलों ने जान लगा दी थी दाव पर
رفتہ رفتہ گھر کی چار دیواری ایک مکمل ڈائریکٹری کی صورت اختیار کرلیتی ہے۔ دروازے کے اوپر بوٹ پالش کا اشتہار ہے۔ دائیں طرف تازہ مکھن ملنے کا پتہ مندرج ہے۔ بائیں طرف حافظہ کی گولیوں کا بیان ہے۔ اس کھڑکی کے اوپر انجمن خدام ملت کے جلسے کا پروگرام...
ये क्या कम है कि हम हैं तो सही फ़हरिस्त में उस कीभले ना-शाद रक्खा है कि हम को शाद रक्खा है
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