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ग़ज़ल
मोहताजगी सूँ मुझ कूँ नहीं एक दम फ़राग़
हक़ ने जहाँ में नाम कूँ 'हातिम' किया तो क्या
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ग़ज़ल
मजरूह सुल्तानपुरी
तंज़-ओ-मज़ाह
हमने कॉलेज में ता’लीम तो ज़रूर पाई और रफ़्ता रफ़्ता बी.ए. भी पास कर लिया, लेकिन इस निस्फ़ ...
पतरस बुख़ारी
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नज़्म
इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर
नज़र है अब्र-ए-करम पर दरख़्त-ए-सहरा हूँ
किया ख़ुदा ने न मोहताज-ए-बाग़बाँ मुझ को
अल्लामा इक़बाल
कहानी
दहक़ानों की ये मुख़्तसर सी टोली अपनी बे सर-ओ-सामानी से बे-हिस अपनी ख़स्ता हाली में मगर साबिर...
प्रेमचंद
नज़्म
दुआ
ميں بلبل نالاں ہوں اک اجڑے گلستاں کا
تاثير کا سائل ہوں ، محتاج کو ، داتا دے!
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ख़ूँ है दिल ख़ाक में अहवाल-ए-बुताँ पर या'नी
उन के नाख़ुन हुए मुहताज-ए-हिना मेरे बा'द
मिर्ज़ा ग़ालिब
नज़्म
एक रह-गुज़र पर
ग़रज़ वो हुस्न जो मोहताज-ए-वस्फ़-ओ-नाम नहीं
वो हसन जिस का तसव्वुर बशर का काम नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कहानी
उन्होंने कहा, "अक़्लीदस चीज़ ही ऐसी है। तू इसके हाथों यूँ नालाँ है, मैं इस से और तरह तंग हुआ...
अशफ़ाक़ अहमद
नज़्म
पंद्रह अगस्त
हमारे देश का हर कर्धा तोड़ डाला था
जो मुल्क सूई की ख़ातिर था औरों का मुहताज
जावेद अख़्तर
नज़्म
शम्अ' और शाइ'र
وائے ناداني کہ تو محتاج ساقي ہو گيا
مے بھي تو، مينا بھي تو، ساقي بھي تو، محفل بھي تو
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
तक़दीर ने क्या क़ुतुब-ए-फ़लक मुझ को बनाया
मोहताज मिरा पाँव रहा ख़ाना-ए-ज़ीं का