aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ہتھیار"
साहिर होशियारपुरी
1913 - 1972
शायर
अभिसार गीता शुक्ल
born.1994
मिर्ज़ा इख़्तियार हुसैन कैफ़ नियाज़ी
लेखक
सय्यद तय्यब वास्ती
born.1938
हरिहरनाथ शास्त्री
हरिहर प्रसाद गुप्त
ख़्वाजा अब्दुल ग़फ़्फ़ार अयार
जगदीश सहाय हथकारी
पर्काशक
लाला केवल राम होशयार
1831 - 1905
क़मर होशियार पुरी
अनुवादक
सय्यद इख़्तियार जाफ़री
ख़ाना अख़्यार, कराची
दि अदयार लाइब्रेरी, चेन्नई
अभियान
पंडित होशियार सिंह
जंग का हथियार तय कुछ और थातीर सीने में उतारा और है
جب فریضے کو ادا کر چکے وہ خوش کردارکس کے کمروں کو بصد شوق لگائے ہتھیار
فتح و ظفر تھی مثلِ علی اختیار میںپنجے میں تھا وہی جسے تاکا ہزار میں
मेरा हथियारअपनी वफ़ा पर भरोसा है और कुछ नहीं
जब इस ज़िम्न में मुझे हर तरफ़ से नाउम्मीदी हुई, या’नी जिस किसी को मैंने दिल से चाहा, उसने मेरे साथ धोका किया तो मेरी तबीयत बुझ गई और मैंने महसूस किया कि रेगिस्तान में एक भौंरे के मानिंद हूँ जिसे रस चूसने के लिए हद्द-ए-नज़र तक कोई फूल नज़र...
औरत को मौज़ू बनाने वाली शायरी औरत के हुस्न, उस की सिन्फ़ी ख़ुसूसियात, उस के तईं इख़्तियार किए जाने वाले मर्द असास समाज के रवय्यों और दीगर बहुत से पहलुओं का अहाता करती है। औरत की इस कथा के मुख़्तलिफ़ रंगों को हमारे इस इन्तिख़ाब में देखिए।
शेर-ओ-अदब के समाजी सरोकार भी वाज़ेह रहे हैं और शायरों ने इब्तिदा ही से अपने आप पास के मसाएल को शायरी का हिस्सा बनाया है अल-बत्ता एक दौर ऐसा आया जब शायरी को समाजी इन्क़िलाब के एक ज़रिये के तौर पर इख़्तियार किया गया और समाज के निचले, गिरे पड़े और किसान तबक़े के मसाएल का इज़हार शायरी का बुनियादी मौज़ू बन गया। आप इन शेरों में देखेंगे कि किसान तबक़ा ज़िंदगी करने के अमल में किस कर्ब और दुख से गुज़र्ता है और उस की समाजी हैसियत क्या है।किसानों पर की जाने वाली शायरी की और भी कई जहतें है। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
मशहूर शाइ’र जो मुशाइ’रों से दूर रहे। अगरा में पैदाइश। पहले सरकारी नौकरी की और फिर कई व्यवसायिक संस्थाओं से जुड़े रहे।आज़ादी के बा’द कराची जा बसे।उ’मर ख़य्याम और मिर्ज़ा‘ ग़ालिब’ की रुबाइयों का उर्दू अनुवाद किया।मर्सिये भी लिखे।
हथियारہتھیار
arms
Electioni Jihad Aur Uske Hathiyar
मोहम्मद मंज़ूर नोमानी
Mela Akhiyan Da
अनवर मसूद
Ladai Ke Hathyar
Tashkeel Jadeed Alhiyat-e-Islamia
अल्लामा इक़बाल
व्याख्यान
Shairi Mein Sufiyana Istilahaat
शायरी तन्क़ीद
Kaifiyaat
काव्य संग्रह
Ba-Adab Ba-Muhawara Hoshiyar!
नादिर ख़ाँ सरगिरोह
हास्य-व्यंग
Tazkira Mashaheer-e-Akbarabad
सईद अहमद मारहरवी
तज़किरा
Deewan-e-Ayar
दीवान
Bostan-e-Akhyaar
Ba Adab Ba Muhawra Hoshiyar
गद्य/नस्र
Ayar-e-Ghalib
मालिक राम
Momin Ka Hatiyar
मोहम्मद यूनुस
इस्लामियात
Hamare Hathiyar
वक़ार अहसन
आगरा में उर्दू सहाफ़त
पत्रकारिता
ساری سپر میں مہر نبوت کی شان تھیہتھیار ادھر لگا چکے آقائے خاص و عام
जिस रोज़ उस मोहलिक इनाद की इब्तिदा हुई उसी रोज़ से बुद्धू ने उस तरफ़ आना तर्क कर दिया था। झींगुर ने उस से रब्त-ज़ब्त बढ़ाना शुरू किया। वो बुद्धू को दिखलाना चाहता था कि तुम पर मुझे ज़रा भी शक नहीं है। एक रोज़ कम्बल लेने के बहाने गया,...
सन सैंतालीस के हंगामे आए और गुज़र गए। बिल्कुल उसी तरह जिस मौसम में ख़िलाफ़-ए-मा’मूल चंद दिन ख़राब आएं और चले जाएं। ये नहीं कि करीम दाद, मौला की मर्ज़ी समझ कर ख़ामोश बैठा रहा। उसने उस तूफ़ान का मर्दानावार मुक़ाबला किया था। मुख़ालिफ़ कुव्वतों के साथ वो कई बार...
حاضر درِ دولت پہ ہیں، سب یاور و انصارکوئی تو کمر باندھتا ہے اور کوئی ہتھیار
बंसीधर पर दौलत की इन शीरीं ज़बानियों का कुछ असर न हुआ। दयानत-दारी का ताज़ा जोश था, कड़क कर बोले, “हम उन नमक-हरामों में नहीं हैं जो कौड़ियों पर अपना ईमान बेचते फिरते हैं। आप इस वक़्त हिरासत में हैं, सुब्ह को आपका बा-क़ायदा चालान होगा। बस मुझे ज़्यादा बातों...
हुई सुबह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले एक शे’र से पता चलता है कि अबनाए रोज़गार की बे-मेहरियों से तंग आकर गदागरी भी इख़्तियार की लेकिन लुत्फ़ की बात ये है कि इस हालत में भी आशिक़ी को तर्क नहीं किया। कहते हैं,...
बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिएउन से बन जाते हैं हथियार ये क़िस्सा क्या है
فرمانے لگے حضرت عباسؔ علمدارہاں غازیو اب تم بھی سجو جنگ کے ہتھیار
हारने वालों ने इस रुख़ से भी सोचा होगासर कटाना है तो हथियार न डाले जाएँ
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