aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ہلکورے"
सय्यद ताबिश अलवरी
born.1939
शायर
ख़दीजा मरयम
born.1983
अफ़ज़ल एलेक्ट्रिक प्रेस, पेशावर
पर्काशक
समर हिलोरी
1927 - 1992
लेखक
मैालाना सद्र-उल-वरा क़ादरी
संपादक
शहीद अलवरी
अल-मतबातुल-कौसर, आज़मगढ़
अल-नूर पब्लिकेशन्ज़, नई दिल्ली
अल-मतबातुल-कुब्रा, मिस्र
शाह फ़रीदुद्दीन अब्दुश्शकूर फ़रीद मानकपुरी
स्टार इलेक्ट्रीक प्रिंटिंग वर्क्स, इलाहाबाद
फ़ातिमा अल-कुब्रा
मतबा यूसुफ़ी, अलवर
अब्दुन्नूर राग़िब
आलमगीर इलेक्ट्रिक प्रेस, लाहोर
दर्द भरी रातें जिस दम हलकोरे देती हैंदरियाओं के रुख़ पर बहना कैसा लगता है
जैसे रेशम के झूले पे कोई मधुर गीत हलकोरे लेने लगा होवही नर्म लहजा
सात सुरों की लहरों पे हलकोरे लेते फूल से हैंइक मदहोश फ़ज़ा सुनती है इक चिड़िया के गाने को
"साढे़ चार। अभी हमें चलते हुए एक घंटा भी नहीं गुज़रा।" जितेंद्र अपना चारख़ाना कोट गाड़ीबान के पास पराल पर बिछाए, कुहनी पर सर रखे चुपचाप पड़ा था। शकुंतला भी शायद सोने लगी थी हालाँकि वो बहुत देर से इस कोशिश में मसरूफ़ थी कि बस सितारों को देखती रहे।...
इतना ज़माना बीत चुका है। मगर वो कैफ़ियत जो उस वक़्त मुझ पर तारी होती थी मैं अब भी महसूस कर सकता हूँ... अजीब-ओ-ग़रीब कैफ़ियत थी। जैजे के होटल के बहुत अंदर अँधेरी मगर ठंडी कोठड़ी में बैठा मैं यूं महसूस करता। कश्ती में बैठा हूँ... परियाँ उसे खे रही...
हलकोरेہلکورے
swinging
Shams-ul-Maarif-ul-Kubra
बाग़ी हिंदुस्तान
फ़ज़ले हक़ खैराबादी
भारत का इतिहास
Baghi Hindustan
Buddha Goryu
ओनूरे दिबालज़ाक
नॉवेल / उपन्यास
इक़बाल की फ़ारसी शायरी का तन्क़ीदी जाएज़ा
अब्दुश्शकूर अहसन
आलोचना
Iqbal Ki Farsi Shairi Ka Tanqeedi Jaiza
शायरी तन्क़ीद
Shajrat-ul-Kaun
अब्दुल क़दीर सिद्दीक़ी
अन्य
Aurton Ki Hikayat
अबु-उन-नूर मोहम्मद बशीर
हिकायात
Aadhe Adhure
ख़ुर्शीद आलम
अफ़साना
Tareekh-e-Europe
ओलिवर थैचर
इतिहास
Shajratul Kaun
मुहीउद्दीन इब्ने अरबी
सूफीवाद दर्शन
Buddha Goriyo
Annoor-us-safir
अबू बक्र मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर
Saman-e-Karbala
इतरत हल्लोरी
मर्सिया
جو کھونے لوٹا منھ سے لگایا تو پانی میں سخت بدبو آئی۔ گنگی سے بولا، یہ کیسا پانی ہے؟ مارے باس کے پیا نہیں جاتا۔ گلاسوکھا جارہا ہے اور تو سڑا ہوا پانی پلائے دیتی ہے۔ گنگی پرتی دن شام کو پانی بھرلیا کرتی تھی۔ کنواں دور تھا۔ بار بار...
"अरी सफ़िया क्या कर रही है, बी-बी।" बावर्ची ख़ाने से आपा जी की आवाज़ आई और सफ़िया बड़-बड़ाई, और तसव्वुर की लकीर सटाक से ग़ायब, फिर वो काम-धंदे में ऐसी जुटती कि तन-बदन का होश न रहता, झूटे बासन फैलाए और बराबर में रखी थाली से भर-भर मुट्ठी राख हर...
’’شام کا وقت تھا۔ بے وقت کی بارش نے موسم خوش گوار کردیا تھا۔ آسمان پر بادلوں کے ٹکڑے ایک دوسرے کے پیچھے بھاگ رہے تھے۔ جن کے بیچ بیچ میں گہرے نیلے آسمان کی جھلک بڑی دل کش تھی۔ سورج کی گول تھال دھیرے دھیرے مغرب کے اُفق کی...
یکایک موہنی نے چونک کر گنگا کی طرف دیکھا۔ ہمارے دلوں کی طرح اس وقت گنگابھی امڈی ہوئی تھیں۔ اس پڑخروش اورناہموار سطحِ آب پرایک چراغ بہتا ہواچلاجاتاتھا اور اس کا عکس گلفشاں تھرکتا اور ناچتا ایک دمدار ستارے کی طرح صفحہ آب کومنورکررہا تھا۔ آہ! اس ہستی موہوم کی...
मैंने अगर माज़ी का सीग़ा इस्तेमाल किया है तो इससे कोई ग़लत फ़हमी पैदा नहीं होनी चाहिए। शमीम ज़िंदा है। अस्ल बात यूँ है कि मुझे अपना ये पूरा मुहल्ला ही माज़ी का सीग़ा नज़र आता है।अब शमीम को मैं इससे कैसे अलैहदा समझूँ और फिर अब शमीम में वो...
मैंने तो अपने इंचार्ज साहिब की बात समझ ली थी लेकिन जब्बार को नहीं समझा सकता था। इस लिए हस्ब.ए.मा’मूल आज भी जब्बार बरसों पहले पढ़ी हुई एक कहानी का ज़िक्र कर रहा था तो मुझे महसूस हुआ कि मेरा सर पत्थर का हो गया है। और मेरा जी चाहने...
फिर हल्के-फुल्के पँख फैलाए उड़ेहलकोरे ले
रफ़ीक़ ने मुझे बताया कि वो रुख़स्त होने ही वाला था कि अनवरी आन टपकी। हल्की सी चख़ हुई। रफ़ीक़ ने उस से कहा। “ख़ामोश आह अनवरी... शुक्रिया अदा कर कि तुझे एक सोने की कान का मालिक बना दिया है मैंने।” मालूम नहीं रफ़ीक़ ने ऐसी सोने की कानें...
میرا بدن خون میں خون کی گردش اور خمارکی آسودگی کے ترازو پر ہمیشہ سے جھولتا رہا تھا۔ یہ ہاتھ، یہ انگلیاں ایک کمہارکی طرح ہر قسم کی مٹی کو ڈھالنے، اس میں حدت پیدا کر کے اسے گیلی کرنے کے عمل سے آشنا نہ تھے، ماہر تھے۔ لذت کے...
नींद भरी आँखियों में जागे लाल गुलाबी डोरेचमक चमक सो गए सितारे ले ले कर हलकोरे
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