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शेर
वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में
इक तिरे आने से पहले इक तिरे जाने के बाद
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
कठिन तो बहुत है मगर दिल के रिश्तों को आज़ाद छोड़ो
तवक़्क़ो' न बाँधो कि ये इक अज़िय्यत भरा तजरबा है
जव्वाद शैख़
शेर
कठिन है काम तो हिम्मत से काम ले ऐ दिल
बिगाड़ काम न मुश्किल समझ के मुश्किल को