aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "चोरी"
शाह मीर राय चोटी
died.1772
शायर
जी. नरसेहवां चारी
अनुवादक
राघुआ चारी
रंगा चारी
लेखक
शांता रंगा चारी
ओम चेरी एन. एन. पिल्लै
संपादक
जी. रामा चारी
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली हैडाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगहमुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
सुल्ताना ने बात काट कर कहा, “तुम ख़ुदा के लिए कुछ करो। चोरी करो या डाका मॉरो पर मुझे एक शलवार का कपड़ा ज़रूर ला दो। मेरे पास सफ़ेद बोसकी की क़मीज़ पड़ी है, उसको मैं काला रंगवा लूंगी। सफ़ेद नैनों का एक नया दुपट्टा भी मेरे पास मौजूद है,...
वाइज़ क्लासिकी शायरी का एक अहम किरदार है जो शायरी के और दूसरे किरदारों जैसे रिंद, साक़ी और आशिक़ के मुक़ाबिल आता है। वाइज़ उन्हें पाकबाज़ी और पारसाई की दावत देता है, शराबनोशी से मना करता है, मय-ख़ाने से हटा कर मस्जिद तक ले जाना चाहता है लेकिन ऐसा होता नहीं बल्कि उस का किरदार ख़ुद दोग़ले-पन का शिकार होता है। वो भी चोरी छुपे मय-ख़ाने की राह लेता है। उन्हें वजूहात की बुनियाद पर वाइज़ को तंज़-ओ-तशनी का निशाना बनाया जाता है और इस का मज़ाक़ उड़ा जाया जाता है। आपको ये शायरी पसंद आएगी और अंदाज़ा होगा कि किस तरह से ये शायरी समाज में मज़हबी शिद्दत पसंदी को एक हमवार सतह पर लाने में मददगार साबित हुई।
चोरीچوری
Larceny, Robbery, Theft
सोने की चोरी
सुरैया फ़र्रुख़
कहानी
पहाड़ की चोटी पर
मिर्ज़ा अदीब
नॉवेल / उपन्यास
रूप की रानी चोरों का राजा
फ़िल्मी-नग़्मे
Hyderabad State Congress Ki Tareekh
अली बाबा 40 चोर
Mansiha Ki Rifaqat Ke Liye
महिलाओं द्वारा अनुदित
Nawa-e-Dair-o-Haram
संकलन
हम सब चोर हैं
Sada-Bahar Kahaniyan
अफ़साना
हुस्न का चोर
कुण समझै चंवरी रा कौल
Sada Bahar Kahaniyan
दो चोर
मगर ज़्यादा रोने-धोने का मौक़ा न था, कफ़न की और लकड़ी की फ़िक्र करनी थी। घर में तो पैसा इस तरह ग़ायब था जैसे चील के घोंसले में माँस। बाप-बेटे रोते हुए गाँव के ज़मींदारों के पास गए। वो उन दोनों की सूरत से नफ़रत करते थे। कई बार उन्हें...
अगर एक ही बार झूट न बोलने और चोरी न करने की तलक़ीन करने पर सारी दुनिया झूट और चोरी से परहेज़ करती तो शायद एक ही पैग़ंबर काफ़ी होता।...
मोहसिन, “और क्या एक एक आसमान के बराबर होता है। ज़मीन पर खड़ा हो जाए, तो उसका सर आसमान से जा लगे। मगर चाहे तो एक लोटे में घुस जाए।” समी सुना है चौधरी साहब के क़ब्ज़े में बहुत से जिन्नात हैं। कोई चीज़ चोरी चली जाए, चौधरी साहब उसका...
हमारे ख़्वाब चोरी हो गए हैंहमें रातों को नींद आती नहीं है
और लाजो एक पतली शहतूत की डाली की तरह, नाज़ुक सी देहाती लड़की थी। ज़्यादा धूप देखने की वजह से उसका रंग संवला चुका था। तबीअ’त में एक अजीब तरह की बेक़रारी थी। उसका इज़्तिराब शबनम के उस क़तरे की तरह था जो पारा करास के बड़े से पत्ते पर...
ये होंट भी, हम से क्या चोरीक्या सच-मुच झूटे हैं गोरी?
एक रुक्न ने जो चश्मा लगाए थे और हफ़्तावार अख़बार के मुदीर-ए-ए’ज़ाज़ी थे, तक़रीर करते हुए कहा, “हज़रात हमारे शह्र से रोज़ ब-रोज़ ग़ैरत, शराफ़त, मर्दानगी, नेको-कारी-ओ-परहेज़गारी उठती जा रही है और इसकी बजाए बे-ग़ैरती, ना-मर्दी, बुज़दिली, बदमाशी, चोरी और जालसाज़ी का दौर-दौरा होता जा रहा है। मुनश्शियात का इस्ते’माल...
कहता है कोई जूती न लेवे कहीं चुरानट-खट उचक्का चोर दग़ाबाज़ गठ-कटा
शर्म भी इक तरह की चोरी हैवो बदन को चुराए बैठे हैं
मैं क़हर आलूद निगाहों से बेबी को देखता और वो लकड़ियाँ उठा कर नीचे उतर जाती। फिर दाऊ जी समझाते कि बेबी ये कुछ तेरे फ़ायदे के लिए कहती है वर्ना उसे क्या पड़ी है कि मुझे बताती फिरे। फ़ेल हो या पास उसकी बला से! मगर वो तेरी भलाई...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books