आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई"
ग़ज़ल
जंगलों में जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई करूँ
कब तलक ढूँडूँ कहाँ तक जादा-पैमाई करूँ
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
नज़्म
सब माया है
मालूम हमें सब क़ैस मियाँ का क़िस्सा भी
सब एक से हैं, ये राँझा भी ये 'इंशा' भी
इब्न-ए-इंशा
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई"
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई"
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
कोहकन और क़ैस मिल जाएँ तो मैं उन से कहूँ
ले गए क्या साथ ही क़ब्रों में तुम तासीर-ए-इश्क़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मिरे सफ़ीने को साहिल की जुस्तुजू ही नहीं
सितम ये है किसी तूफ़ाँ का इंतिज़ार भी है