aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रफ़्तार-ए-उम्र"
रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब हैइस साल के हिसाब को बर्क़ आफ़्ताब है
न भूलना कि 'उमर' हैं ये दोस्तों के हिसाबकभी न पढ़ना जो दिल की किताब में लिखना
न पा सका कभी ता-उम्र लुत्फ़-ए-तन्हाईउमर जो सारे जहाँ की नज़र में तन्हा था
बसीरत-ए-निगह-ओ-दिल पड़ी नहीं मिलतीमिली जिसे भी ये दौलत 'उमर' उसी से मिली
सुनाऊँ क्या कि तूलानी बहुत हैफ़साना मेरी उम्र-ए-मुख़्तसर का
रफ़्तार-ए-उम्रرفتار عمر
speed of age
उम्र-ए-रफ्ता
नक़ी मोहम्मद ख़ान ख़ूरजवी
मैं जा के 'उमर' अपनी ग़ज़ल किस को सुनाऊँइस शहर-ए-सुख़न-दाँ में तो फ़नकार बहुत हैं
कोई तो मक़्सद-ए-शेर-ओ-अदब भी होगा 'उमर'न हों जो काम की ऐसी निगारशात से क्या
किस को इल्ज़ाम दूँ बर्बादी-ए-दिल का मैं 'उमर'मेरा दुश्मन तो मिरा ख़ुद ही मुक़द्दर निकला
तेरे चेहरे पे 'उमर' आज ये रौनक़ कैसीफिर तबीअत कोई मौज़ू-ए-सुख़न पा गई क्या
हम-सफ़र भी लूट लेता है मुसाफ़िर को कभीये सबक़ मुझ को 'उमर' ख़ुद मेरा रहज़न दे गया
'उमर' को क़त्ल किया है उसी के भाई नेये हादिसा भी बड़ा दिल-ख़राश है लोगो
सोचते क्या हो उमर आ के क़रीब-ए-मंज़िलबात अब जुरअत-ए-दो-गाम तक आ पहुँची हे
ले न अंगड़ाई कहीं गर्दिश-ए-अय्याम 'उमर'हुस्न-ए-ख़्वाबीदा को बेदार करूँ या न करूँ
दामान-ए-आफ़ियत ही ग़नीमत है ऐ 'उमर'उस पर ही उन के ज़ुल्म हैं शैदा कहें जिसे
उन आँखों को तू ने भी कहा नर्गिस-ए-बीमारबाज़ आए 'उमर' हम तो तिरी दीदा-वरी से
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