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नज़्म
तराना-ए-हिन्दी
पर्बत वो सब से ऊँचा हम-साया आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा
अल्लामा इक़बाल
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नज़्म
सिद्धार्थ की एक रात
खिड़कियाँ सारी खुली हैं तो हवा क्यूँ नहीं आती?
नीचे सर्दी है बहुत और हवा तुंद है शायद
गुलज़ार
तंज़-ओ-मज़ाह
सवाल, “बेवक़ूफ़ दोस्त कौन होता है और दाना दुश्मन कौन?” जवाब, “पतिव्रता स्त्री और जनता का लीडर।”...