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ग़ज़ल
उसे देख कर अपना महबूब प्यारा बहुत याद आया
वो जुगनू था उस से हमें इक सितारा बहुत याद आया
अब्दुल हमीद
नज़्म
सफ़र के वक़्त
तुम्हारी याद मिरे दिल का दाग़ है लेकिन
सफ़र के वक़्त तो बे-तरह याद आती हो
जौन एलिया
ग़ज़ल
गए दिनों का सुराग़ ले कर किधर से आया किधर गया वो
अजीब मानूस अजनबी था मुझे तो हैरान कर गया वो
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
मस्त उड़ते परिंदों को आवाज़ मत दो कि डर जाएँगे
आन की आन में सारे औराक़-ए-मंज़र बिखर जाएँगे