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हम गुनहगार-ए-जनाब-ए-इश्क़ हैंअब्द-ए-उब्बादी न आैरादी हैं हम
अरस्तु
नाला है बुलबुल-ए-शोरीदा तिरा ख़ाम अभीअपने सीने में इसे और ज़रा थाम अभी
Falsafa-e-Ibn-e-Arabi
अब्दुल्लाह अल-इमादी
Ibn-e-Arabi
भाषा
तारीख़-ए-अरब क़दीम
विश्व इतिहास
Tareekh-e-Arab Qadeem
इतिहास
Qawaid-e-Arabi
अबू अब्दुल्लाह सूरती
Falsafa Ibn-e-Khaldoon Ijtimaaiyaa
मोहम्मद अब्दुल्लाह
Khawateen Ki Azadi Ahd-e-Risalat Mein
अब्दुल हलीम मोहम्मद अबू शक़्क़ा
इस्लामिक इतिहास
यूँ तोड़ न मुद्दत की शनासाई इधर आआ जा मिरी रूठी हुई तन्हाई इधर आ
मेअराज की रात मोहामद साहब की सवारी के तौर पर जिस जानवर का इस्तेमाल किया गया था उसको बुर्राक़ कहते हैं। जिब्रईल (गब्रीएल या जिब्राइल क़ुरआन और बाइबिल में उल्लेखित देव-दूतों में से एक का नाम) जब मोहम्मद साहब को काबा से बैत-उल-मुक़द्दस ले जाना चाहा तो सवारी के लिए यही जानवर पेश किया गया। ये जानवर अपनी क़द-काठी में ख़च्चर से कुछ छोटा और गधे से कुछ बड़ा थ...
कूचा-ए-इश्क़ से कुछ ख़्वाब उठा कर ले आएथे गदा तोहफ़ा-ए-नायाब उठा कर ले आए
क्या क़यामत है ग़म की गीराईहँसना चाहा तो आँख भर आई
तुम ने रस्म-ए-जफ़ा उठा दी हैहमें किस जुर्म की सज़ा दी है
इबलीसये अनासिर का पुराना खेल ये दुनिया-ए-दूँ
ऐ मेरी आँखो ये बे-सूद जुस्तुजू कैसीजो ख़्वाब ख़्वाब रहीं उन की आरज़ू कैसी
अब शोर थमा तो मैं ने जानाआधी के क़रीब रो चुकी है
कितनी रंगीं है फ़ज़ा कितनी हसीं है दुनियाकितना सरशार है ज़ौक़-ए-चमन-आराई आज
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