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नाला है बुलबुल-ए-शोरीदा तिरा ख़ाम अभी

अल्लामा इक़बाल

नाला है बुलबुल-ए-शोरीदा तिरा ख़ाम अभी

अल्लामा इक़बाल

MORE BYअल्लामा इक़बाल

    रोचक तथ्य

    बांग-ए-दरा, खंड 3, 1908

    नाला है बुलबुल-ए-शोरीदा तिरा ख़ाम अभी

    अपने सीने में इसे और ज़रा थाम अभी

    पुख़्ता होती है अगर मस्लहत-अंदेश हो अक़्ल

    इश्क़ हो मस्लहत-अंदेश तो है ख़ाम अभी

    बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़

    अक़्ल है महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम अभी

    इश्क़ फ़र्मूदा-ए-क़ासिद से सुबुक-गाम-ए-अमल

    अक़्ल समझी ही नहीं म'अनी-ए-पैग़ाम अभी

    शेवा-ए-इश्क़ है आज़ादी दहर-आशेबी

    तू है ज़ुन्नारी-ए-बुत-ख़ाना-ए-अय्याम अभी

    उज़्र-ए-परहेज़ पे कहता है बिगड़ कर साक़ी

    है तिरे दिल में वही काविश-ए-अंजाम अभी

    सई-ए-पैहम है तराज़ू-कम-ओ-कैफ़-ए-हयात

    तेरी मीज़ाँ है शुमार-ए-सहर-ओ-शाम अभी

    अब्र-ए-नैसाँ ये तुनुक-बख़्शी-ए-शबनम कब तक

    मेरे कोहसार के लाले हैं तही-जाम अभी

    बादा-गर्दान-ए-अजम वो अरबी मेरी शराब

    मिरे साग़र से झिजकते हैं मय-आशाम अभी

    ख़बर 'इक़बाल' की लाई है गुलिस्ताँ से नसीम

    नौ-गिरफ़्तार फड़कता है तह-ए-दाम अभी

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