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ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-मंज़िल है न होश-ए-जादा-ए-मंज़िल मुझे
जा रहा हूँ जिस तरफ़ ले जा रहा है दिल मुझे
जिगर मुरादाबादी
कुल्लियात
मानिंद-ए-शम्मा-मजलिस शब अश्क-बार पाया
अल-क़िस्सा 'मीर' को हम बे-इख़्तियार पाया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
समा सकता नहीं पहना-ए-फ़ितरत में मिरा सौदा
ग़लत था ऐ जुनूँ शायद तिरा अंदाज़ा-ए-सहरा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिस सीमीं बदन
एक मिस सीमीं बदन से कर लिया लंदन में अक़्द
इस ख़ता पर सुन रहा हूँ ताना-हा-ए-दिल-ख़राश
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
फिर वही हम हैं ख़याल-ए-रुख़-ए-ज़ेबा है वही
सर-ए-शोरीदा वही 'इश्क़ का सौदा है वही
ग़ुलाम भीक नैरंग
ग़ज़ल
जाँ-गुदाज़ इतनी कहाँ आवाज़-ए-ऊद-ओ-चंग है
दिल के से नालों का उन पर्दों में कुछ आहंग है
मीर तक़ी मीर
नज़्म
ज़ोहद और रिंदी
इक मौलवी साहब की सुनाता हूँ कहानी
तेज़ी नहीं मंज़ूर तबीअत की दिखानी