आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mehboob uz zaman tazkira e shoara e dakan part 001 moulvi abu turab ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "mehboob uz zaman tazkira e shoara e dakan part 001 moulvi abu turab ebooks"
ग़ज़ल
ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा
सुकूत था पर्दा-दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
शिकवा
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
अल्लामा इक़बाल
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "mehboob uz zaman tazkira e shoara e dakan part 001 moulvi abu turab ebooks"
अन्य परिणाम "mehboob uz zaman tazkira e shoara e dakan part 001 moulvi abu turab ebooks"
नज़्म
भारत के मुसलमान
इस दौर में तू क्यूँ है परेशान-ओ-हिरासाँ
क्या बात है क्यूँ है मुतज़लज़ल तेरा ईमाँ
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
वालिदा मरहूमा की याद में
ज़र्रा ज़र्रा दहर का ज़िंदानी-ए-तक़दीर है
पर्दा-ए-मजबूरी ओ बेचारगी तदबीर है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इंक़लाब
छोड़ दे मुतरिब बस अब लिल्लाह पीछा छोड़ दे
काम का ये वक़्त है कुछ काम करने दे मुझे
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
घड़ी भर रंग निखरा सूरत-ए-गुल-हा-ए-तर मेरा
उसी हस्ती पे उस गुलशन में था ये शोर-ओ-शर मेरा
मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़
हास्य शायरी
बढ़ रहे हैं हर तरफ़ अज़्म ओ अमल के कारवाँ
मुर्ग़ अंडे दे रहे हैं और अज़ानें मुर्ग़ियाँ