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नज़्म
फ़रार
अपने माज़ी के तसव्वुर से हिरासाँ हूँ मैं
अपने गुज़रे हुए अय्याम से नफ़रत है मुझे
साहिर लुधियानवी
समस्त
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ग़ज़ल
दुनिया तेरे मतलब की है तू दुनिया के मतलब का
और दोनों के पास नहीं है कुछ भी मेरे मतलब का
हमीदा शाहीन
नज़्म
इसी दो-राहे पर
अब न उन ऊँचे मकानों में क़दम रखूँगा
मैं ने इक बार ये पहले भी क़सम खाई थी