aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "talak"
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँकाश तुझ को भी इक झलक देखूँ
दिल्ली में आज भीक भी मिलती नहीं उन्हेंथा कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का
इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़ये मोहब्बत है कोई शादी नहीं
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगीलोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
देखी थी एक रात तिरी ज़ुल्फ़ ख़्वाब मेंफिर जब तलक जिया मैं परेशान ही रहा
अपनी तरफ़ तो मैं भी नहीं हूँ अभी तलकऔर उस तरफ़ तमाम ज़माना उसी का है
तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथमिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ
सुतून-ए-दार पे रखते चलो सरों के चराग़जहाँ तलक ये सितम की सियाह रात चले
नज़र में दूर तलक रहगुज़र ज़रूरी हैकिसी भी सम्त हो लेकिन सफ़र ज़रूरी है
ये कम है क्या कि मिरे पास बैठा रहता हैवो जब तलक मिरे दिल को दुखा नहीं जाता
बे-नियाज़ी हद से गुज़री बंदा-परवर कब तलकहम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़रमावेंगे क्या
सिर्फ़ दरवाज़े तलक जा के ही लौट आया हूँऐसा लगता है कि सदियों का सफ़र कर आया
घर से हम घर तलक गए होंगेअपने ही आप तक गए होंगे
अब तलक उस को ध्यान हो मेराक्या पता ये गुमान हो मेरा
मुझ को ये होश ही न था तू मिरे बाज़ुओं में हैयानी तुझे अभी तलक मैं ने रिहा नहीं किया
सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना हैअब आसमान तलक रास्ता बनाना है
जब तलक क़ुव्वत-ए-तख़य्युल हैआप पहलू से उठ नहीं सकते
आँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहींक्या पूछते हो हाल शब-ए-इंतिज़ार का
नींद आती नहीं तो सुबह तलकगर्द-ए-महताब का सफ़र देखो
जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता हैमिरी तरह से अकेला दिखाई देता है
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