aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ترابی"
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलतादिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता
अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुतबिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी
शहर में किस से सुख़न रखिए किधर को चलिएइतनी तन्हाई तो घर में भी है घर को चलिए
कुछ रोज़ नसीर आओ चलो घर में रहा जाएलोगों को ये शिकवा है कि घर पर नहीं मिलता
इस कड़ी धूप में साया कर केतू कहाँ है मुझे तन्हा कर के
वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थीकि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी
आज की रात उजाले मिरे हम-साया हैंआज की रात जो सो लूँ तो नया हो जाऊँ
ये राह-ए-तमन्ना है यहाँ देख के चलनाइस राह में सर मिलते हैं पत्थर नहीं मिलता
मैं इक शजर की तरह रह-गुज़र में ठहरा हूँथकन उतार के तू किस तरफ़ रवाना हुआ
तुझे क्या ख़बर मिरे बे-ख़बर मिरा सिलसिला कोई और हैजो मुझी को मुझ से बहम करे वो गुरेज़-पा कोई और है
ये हवा सारे चराग़ों को उड़ा ले जाएगीरात ढलने तक यहाँ सब कुछ धुआँ हो जाएगा
ख़ुद अपने हिज्र की ख़्वाहिश मुझे अज़ीज़ रहीये तेरे वस्ल का क़िस्सा तो इक बहाना हुआ
बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़लग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई न थी
कहने को ग़म-ए-हिज्र बड़ा दुश्मन-ए-जाँ हैपर दोस्त भी इस दोस्त से बेहतर नहीं मिलता
तुझ से बिछड़ूँ तो कोई फूल न महके मुझ मेंदेख क्या कर्ब है क्या ज़ात की सच्चाई है
मुद्दतों बा'द अगर सामने आए हम तुमधुँदले धुँदले से मिलेंगे ख़द-ओ-ख़ाल ऐसे में
शायद ये इंतिज़ार की लौ फ़ैसला करेमैं अपने साथ हूँ कि दरीचों के साथ हूँ
क़ुर्बतें रेत की दीवार हैं गिर सकती हैंमुझ को ख़ुद अपने ही साए में ठहर जाना था
उसी ने मुझ पे उठाए हैं संग जिस के लिएमैं पाश पाश हुआ घर निगार-ख़ाना हुआ
ये रूह रक़्स-ए-चराग़ाँ है अपने हल्क़े मेंये जिस्म साया है और साया ढल रहा है मियाँ
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books