aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "حيات"
हयात ले के चलो काएनात ले के चलोचलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो
मैं मय-कदे की राह से हो कर निकल गयावर्ना सफ़र हयात का काफ़ी तवील था
ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्नाथी आरज़ू कि तिरे दर पे सुब्ह ओ शाम करें
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिबअभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैंमौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों सेकहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो
लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चलेअपनी ख़ुशी न आए न अपनी ख़ुशी चले
मुड़ के देखा तो हमें छोड़ के जाती थी हयातहम ने जाना था कोई बोझ गिरा है सर से
मिलती है ग़म से रूह को इक लज़्ज़त-ए-हयातजो ग़म-नसीब है वो बड़ा ख़ुश-नसीब है
ज़बाँ ज़बाँ पे शोर था कि रात ख़त्म हो गईयहाँ सहर की आस में हयात ख़त्म हो गई
मौत क्या एक लफ़्ज़-ए-बे-मअ'नीजिस को मारा हयात ने मारा
आशिक़ की भी हस्ती है दुनिया में अजब हस्तीज़िंदा है तो रुस्वा है मर जाए तो अफ़्साना
बोसा लिया जो उस लब-ए-शीरीं का मर गएदी जान हम ने चश्मा-ए-आब-ए-हयात पर
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएँ बारबीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से
आँखों में जो बात हो गई हैइक शरह-ए-हयात हो गई है
दिल गया रौनक़-ए-हयात गईग़म गया सारी काएनात गई
क्या उसी का नाम है रा'नाई-ए-बज़्म-ए-हयाततंग कमरा सर्द बिस्तर और तन्हा आदमी
किस से शिकवा करें वीरानी-ए-हस्ती का 'हयात'हम ने ख़ुद अपनी तमन्नाओं को जीने न दिया
मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गयाग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
ग़म-ए-हयात भी आग़ोश-ए-हुस्न-ए-यार में हैये वो ख़िज़ाँ है जो डूबी हुई बहार में है
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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