aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دوست"
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहेजब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँक्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्तवो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों काजो पिछली रात से याद आ रहा है
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्तसब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगातिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न देमैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
तेरी बातें ही सुनाने आएदोस्त भी दिल ही दुखाने आए
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिलेहम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेहकोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जानाजिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्तदोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैंदेखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन
मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिएतू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा देये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंजैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
चमन में रखते हैं काँटे भी इक मक़ाम ऐ दोस्तफ़क़त गुलों से ही गुलशन की आबरू तो नहीं
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्तहम ने उस को अपना जाना जब तक हाथ में दामाँ था
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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