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शेर
कोई बात ख़्वाब-ओ-ख़याल की जो करो तो वक़्त कटेगा अब
हमें मौसमों के मिज़ाज पर कोई ए'तिबार कहाँ रहा
अदा जाफ़री
शेर
दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
शेर
रह-ए-वफ़ा में उन्हीं की ख़ुशी की बात करो
वो ज़िंदगी हैं तो फिर ज़िंदगी की बात करो