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शेर
हर दर पे इक बाँग लगावें भला करो बस भला करो
एक ही शिकवा एक ही नाला सुब्ह किया और शाम किया
अमानुल्लाह ख़ालिद
शेर
रह-ए-वफ़ा में उन्हीं की ख़ुशी की बात करो
वो ज़िंदगी हैं तो फिर ज़िंदगी की बात करो
अबु मोहम्मद वासिल बहराईची
शेर
'सहबा' साहब दरिया हो तो दरिया जैसी बात करो
तेज़ हवा से लहर तो इक जौहड़ में भी आ जाती है