आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "वजह-ए-मुश्किलात"
शेर के संबंधित परिणाम "वजह-ए-मुश्किलात"
शेर
हाल-ए-दिल लिखते न लोगों की ज़बाँ में पड़ते
वज्ह-ए-अंगुश्त-नुमाई ये क़लम है हम को
दत्तात्रिया कैफ़ी
शेर
वो शय कहाँ है पिन्हाँ ऐ मौज-ए-आब-ए-हैवाँ
जो वज्ह-ए-सर-ख़ुशी थी बरसों की तिश्नगी में
अज़ीज़ तमन्नाई
शेर
ख़ुदा और नाख़ुदा मिल कर डुबो दें ये तो मुमकिन है
मेरी वज्ह-ए-तबाही सिर्फ़ तूफ़ाँ हो नहीं सकता
सीमाब अकबराबादी
शेर
वज्ह-ए-सुकूँ न बन सकीं हुस्न की दिल-नवाज़ियाँ
बढ़ गईं और उलझनें तुम ने जो मुस्कुरा दिया
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
शेर
न दुनिया बाइ'स-ए-ग़फ़लत न उक़्बा वज्ह-ए-हुश्यारी
रहे जो तुझ से ग़ाफ़िल हम उसे ग़ाफ़िल समझते हैं
अमजद नजमी
शेर
दिल के आईने की हम लेते हैं तब है है ख़बर
इस पे जब दो दो वजब ये ज़ंग-ए-ग़म चढ़ जाए है