aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aap"
और क्या देखने को बाक़ी हैआप से दिल लगा के देख लिया
आप के बा'द हर घड़ी हम नेआप के साथ ही गुज़ारी है
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठेंदिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम परहँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
इस नहीं का कोई इलाज नहींरोज़ कहते हैं आप आज नहीं
''आप की याद आती रही रात भर''चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
मुझ को आदत है रूठ जाने कीआप मुझ को मना लिया कीजे
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलेंहम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
आज मुझ को बहुत बुरा कह करआप ने नाम तो लिया मेरा
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिलहम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरायाद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
आप ने तस्वीर भेजी मैं ने देखी ग़ौर सेहर अदा अच्छी ख़मोशी की अदा अच्छी नहीं
शौक़ है इस दिल-ए-दरिंदा कोआप के होंट काट खाने का
तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँछूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ेंये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें
इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो हैपर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है
आप का ए'तिबार कौन करेरोज़ का इंतिज़ार कौन करे
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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