aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baa-na.e"
एक भी आफ़्ताब बन न सकालाख टूटे हुए सितारों से
वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जातासो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
सब पे जिस बार ने गिरानी कीउस को ये ना-तवाँ उठा लाया
मेरी तारीफ़ करे या मुझे बद-नाम करेजिस ने जो बात भी करनी है सर-ए-आम करे
उन से मेरी बात न पूछउन से मेरी अन-बन है
बे-नाम मसाफ़त ही मुक़द्दर है तो क्या ग़ममंज़िल का तअ'य्युन कभी होता है सफ़र से
एक बे-नाम उदासी से भरा बैठा हूँआज दिल खोल के रोने की ज़रूरत है मुझे
कोई भी शक्ल मुकम्मल किताब बन न सकीहर एक चेहरा यहाँ इक़्तिबास जैसा है
बे-नाम से इक ख़ौफ़ से दिल क्यूँ है परेशाँजब तय है कि कुछ वक़्त से पहले नहीं होगा
वही बे-वज्ह उदासी वही बे-नाम ख़लिशराह-ओ-रस्म-ए-दिल-ए-नाकाम से जी डरता है
ब-नाम-ए-इश्क़ इक एहसान सा अभी तक हैवो सादा-लौह हमें चाहता अभी तक है
बन न पाया हीर, राँझा अब भी राँझा है बहुतदेख वारिस-शाह तेरी हीर आधी रह गई
गुलों की महफ़िल-ए-रंगीं में ख़ार बन न सकेबहार आई तो हम गुलसिताँ से लौट आए
मिलें किसी से तो बद-नाम हों ज़माने मेंअभी गए हैं वो मुझ को सुना के पर्दे में
फिर यही बात न मैं भूल सकामैं उसे भूल गया था इक दिन
औरों के बल पे बल न कर इतना न चल निकलबल है तो बल के बल पे तू कुछ अपने बल के चल
चमन पे बस न चला वर्ना ये चमन वालेहवाएँ बेचते नीलाम रंग-ओ-बू करते
आप ने तीर लगाया तो कोई बात न थीज़ख़्म मैं ने जो दिखाया तो बुरा मान गए
अब मुझ में कोई बात नई ढूँढने वालोअब मुझ में कोई बात पुरानी भी नहीं है
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