aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "deedar"
कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहींशौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर
जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रेंईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवाहसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
अब वही करने लगे दीदार से आगे की बातजो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए
मेरी आँखें और दीदार आप काया क़यामत आ गई या ख़्वाब है
मैं बाग़ में हूँ तालिब-ए-दीदार किसी कागुल पर है नज़र ध्यान में रुख़्सार किसी का
दीदार की तलब के तरीक़ों से बे-ख़बरदीदार की तलब है तो पहले निगाह माँग
आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान करदेते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर
क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख करजलता हूँ अपनी ताक़त-ए-दीदार देख कर
कैसी अजीब शर्त है दीदार के लिएआँखें जो बंद हों तो वो जल्वा दिखाई दे
या तो किसी को जुरअत-ए-दीदार ही न होया फिर मिरी निगाह से देखा करे कोई
अब और देर न कर हश्र बरपा करने मेंमिरी नज़र तिरे दीदार को तरसती है
तिरा दीदार हो हसरत बहुत हैचलो कि नींद भी आने लगी है
मिरा जी तो आँखों में आया ये सुनतेकि दीदार भी एक दिन आम होगा
दीद के क़ाबिल हसीं तो हैं बहुतहर नज़र दीदार के क़ाबिल नहीं
कासा-ए-चश्म ले के जूँ नर्गिसहम ने दीदार की गदाई की
दिल को नियाज़-ए-हसरत-ए-दीदार कर चुकेदेखा तो हम में ताक़त-ए-दीदार भी नहीं
आदम-ए-ख़ाकी से आलम को जिला है वर्नाआईना था तो मगर क़ाबिल-ए-दीदार न था
तिरा दीदार हो आँखें किसी भी सम्त देखेंसो हर चेहरे में अब तेरी शबाहत चाहिए है
आँख की तस्वीर सर-नामे पे खींची है कि तातुझ पे खुल जावे कि इस को हसरत-ए-दीदार है
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