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शेर
दिल-ए-ग़म-ज़दा पे गुज़र गया है वो हादसा कि मिरे लिए
न तो ग़म रहा न ख़ुशी रही न जुनूँ रहा न परी रही
गणेश बिहारी तर्ज़
शेर
हिज्र में मुस्कुराए जा दिल में उसे तलाश कर
नाज़-ए-सितम उठाए जा राज़-ए-सितम न फ़ाश कर
फ़ानी बदायुनी
शेर
रोज़-ए-जज़ा गिला तो क्या शुक्र-ए-सितम ही बन पड़ा
हाए कि दिल के दर्द ने दर्द को दिल बना दिया
फ़ानी बदायुनी
शेर
'फ़ितरत' दिल-ए-कौनैन की धड़कन तो ज़रा सुन
ये हज़रत-ए-इंसाँ ही की अज़्मत का बयाँ है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
शेर
बसा के दिल में तिरे ग़म तिरे सितम ऐ दोस्त
जहाँ जहाँ से भी गुज़रा मैं नग़्मा-ख़्वाँ गुज़रा