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शेर
क्यूँ नहीं लेता हमारी तू ख़बर ऐ बे-ख़बर
क्या तिरे आशिक़ हुए थे दर्द-ओ-ग़म खाने को हम
नज़ीर अकबराबादी
शेर
कल 'नज़ीर' उस ने जो पूछा ब-ज़बान-ए-पंजाब
नेह विच मेंडी ए की हाल-ए-तुसादा वे मियाँ
नज़ीर अकबराबादी
शेर
अब इस को ज़िंदगी कहिए कि अहद-ए-बे-हिसी कहिए
घरों में लोग रोते हैं मगर रस्तों पे हँसते हैं
कलीम हैदर शरर
शेर
उसी को ज़िंदगी का साज़ दे के मुतमइन हूँ मैं
वो हुस्न जिस को हुस्न-ए-बे-सबात कहते आए हैं
नुशूर वाहिदी
शेर
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
रंग-ओ-बू के पर्दे में कौन ये ख़िरामाँ है
हर नफ़स मोअत्तर है हर नज़र ग़ज़ल-ख़्वाँ है
राज़ मुरादाबादी
शेर
वामिक़ जौनपुरी
शेर
जिन्हें हम बुलबुला पानी का दिखते हैं कहो उन से
नज़र हो देखने वाली तो बहर-ए-बे-कराँ हम हैं