aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nazr"
दिल नज़्र करो ज़ुल्म सहो नाज़ उठाओऐ अहल-ए-तमन्ना ये हैं अरकान-ए-तमन्ना
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसेतेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
दरियाओं की नज़्र हुएधीरे धीरे सब तैराक
न वो रिंदान-ए-ख़ुश-औक़ात न वो बज़्म-ए-वफ़ाइशरत-ए-बादा-ए-गुलफ़म किसे नज़्र करूँ
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैंहम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
उन पे क़ुर्बान हर ख़ुशी कर दीज़िंदगी नज़्र-ए-ज़िंदगी कर दी
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहींदबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता हैभूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो हैक्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
जवानो नज़्र दे दो अपने ख़ून-ए-दिल का हर क़तरालिखा जाएगा हिन्दोस्तान को फ़रमान-ए-आज़ादी
औरों की बुराई को न देखूँ वो नज़र देहाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे
जान-ओ-दिल था नज़्र तेरी कर चुकातेरे आशिक़ की यही औक़ात है
भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो कियाताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ थारूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
अजब तेरी है ऐ महबूब सूरतनज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिनमरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती हैज़िंदगी एक नज़्म लगती है
चलो लहू भी चराग़ों की नज़्र कर देंगेये शर्त है कि वो फिर रौशनी ज़ियादा करें
उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों मेंनज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में
क्यूँ मुझ को नज़्र-ए-आतिश-ए-एहसास कर दियाक्यूँ जान डाल कर मिरी मिट्टी ख़राब की
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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