aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sakhi"
बुझी रूह की प्यास लेकिन सख़ीमिरे साथ मेरा बदन भी तो है
शबान-ए-हिज्राँ दराज़ चूँ ज़ुल्फ़ रोज़-ए-वसलत चू उम्र कोताहसखी पिया को जो मैं न देखूँ तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ
जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बरआएगी बुलबुल मिरे घर में मुबारकबाद को
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
वा'दा मुआवज़े का न करता अगर ख़ुदाख़ैरात भी सख़ी से न मिलती फ़क़ीर को
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सहीनहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसेवो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नामदेखना उन की फ़रामोशी को मेरी याद को
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सहीतुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहींदबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
अब नहीं कोई बात ख़तरे कीअब सभी को सभी से ख़तरा है
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्तादिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
यूँ तो मरने के लिए ज़हर सभी पीते हैंज़िंदगी तेरे लिए ज़हर पिया है मैं ने
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगाजाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहाये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा हैजिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सहीहो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books