आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بہروپیوں"
कहानी के संबंधित परिणाम "بہروپیوں"
ग़ज़ल
क्या करें 'जावेद' इस बहरूपियों के दौर में
गुल को गुल काँटे को काँटा मानना मुश्किल हुआ
अब्दुल्लाह जावेद
ग़ज़ल
बुल-हवस में भी न था वो बुत भी हरजाई न था
फिर भी हम बहरूपियों को ख़ौफ़-ए-रुस्वाई न था
सिद्दीक़ अफ़ग़ानी
हास्य
हैरत-ज़दा हैं शैख़ बरहमन हैं दम-ब-ख़ुद
बहरूपियों का लश्कर-ए-जर्रार देख कर