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ग़ज़ल
अगर तुम रोक दो इज़हार-ए-लाचारी करूँगा
जो कहनी है मगर वो बात मैं सारी करूँगा
अब्दुर्राहमान वासिफ़
ग़ज़ल
मजबूरी के चावल भूने लाचारी दो मुट्ठी डाली
हम ने खाया ग़म को अपने फिर गुड़-धानी करते करते
हेमा काण्डपाल हिया
ग़ज़ल
बस मैं आया जो तुम्हारे उसे चाहो सो करो
क्या सितम आदमी सहता नहीं लाचारी से
नवाब मोहम्मद यार ख़ाँ अमीर
ग़ज़ल
कटघरे में अद्ल की ख़ातिर खड़ा है बे-क़ुसूर
ढो रहा है एक बेबस कब से लाचारी का बोझ
ताहिर सऊद किरतपूरी
ग़ज़ल
मदद करने से पहले तुम हक़ीक़त भी परख लेना
यहाँ पर आदतन कुछ लोग लाचारी दिखाते हैं
वीरेन्द्र खरे अकेला
ग़ज़ल
जो दरवाज़ा लाचारी के नाम पे मुझ पर बंद रहा
क्या अब भी वो बंद पड़ा है साहब जी कुछ तो बोलो
परवेज़ रहमानी
ग़ज़ल
नक़ाहत का है ग़लबा सो झुका देते हैं सर अपना
इताअ'त के 'अमल में अपनी लाचारी भी शामिल है
राहत हसन
ग़ज़ल
कब हवस है मुझ को रुस्वाई की लेकिन क्या करूँ
खींच कर लाती है इस कूचे में लाचारी मुझे
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
ग़ज़ल
मोहब्बत हिज्र ख़ल्वत दर्द लाचारी तड़प आँसू
है शाहिद सब का इकलौता हमारी आँख का काजल