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ग़ज़ल
शबिस्तानों में लौ देते हुए कुंदन से जिस्मों पर
हवा की उँगलियों से वस्ल का पैग़ाम लिख देना
ज़ुबैर रिज़वी
ग़ज़ल
अश्कों की उजली कलियाँ हों या सपनों के कुंदन फूल
उल्फ़त की मीज़ान में मैं ने जो था सब कुछ तोल दिया
शकेब जलाली
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
इश्क़ मियाँ इस आग में मेरा ज़ाहिर ही चमका देना
मेरे बदन की मिट्टी को ज़रा कुंदन-रंग बना देना
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
तमईज़-ए-कमाल-ओ-नक़्स उठा ये तो रौशन है दुनिया पर
मैं चंदन हूँ तू कुंदन है मैं मिट्टी हूँ तू सोना है