आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",LnE"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ",lne"
ग़ज़ल
इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें
हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू अरे ओ 'शकील' कहाँ है तू
तिरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा न दे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
रख़नों से दीवार-ए-चमन के मुँह को ले है छुपा या'नी
इन सूराख़ों के टुक रहने को सौ का नज़ारा जाने है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
कई अजनबी तिरी राह में मिरे पास से यूँ गुज़र गए
जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तिरा नाम ले के पुकार लूँ
बशीर बद्र
ग़ज़ल
सुब्ह चमन में उस को कहीं तकलीफ़-ए-हवा ले आई थी
रुख़ से गुल को मोल लिया क़ामत से सर्व ग़ुलाम किया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है