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ग़ज़ल
वही है साहिब-ए-इमरोज़ जिस ने अपनी हिम्मत से
ज़माने के समुंदर से निकाला गौहर-ए-फ़र्दा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अज़्म बहज़ाद
ग़ज़ल
मैं हूँ वो लम्हा जो मुट्ठी में समा सकता नहीं
पल में हूँ इमरोज़-ओ-माज़ी पल में आइंदा हूँ मैं
अनवर सदीद
ग़ज़ल
'अजब क्या ला-मकाँ को इक नया ज़िंदाँ समझ बैठे
ये दीवाना हद-ए-इमरोज़-ओ-फ़र्दा में नहीं रहता
ज़हीर काश्मीरी
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-इमरोज़ न अंदेशा-ए-फ़र्दा की ख़लिश
ज़िंदगी उस की जिसे मौत का दिन याद नहीं
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
मिट गईं इमरोज़ ओ फ़र्दा की हज़ारों उलझनें
जो सुकूँ तूफ़ाँ में पाया है वो कब साहिल में था
अली जवाद ज़ैदी
ग़ज़ल
मैं सरापा हूँ ख़बर-नामा-ए-इमरोज़-ए-जहाँ
कल भुला दे न ये दुनिया कहीं पढ़ कर मुझ को