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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
बुख़्ल से मंसूब करते हैं ज़माने को सदा
गर कभी तौफ़ीक़-ए-ईसार ओ अता पाते हैं हम
अल्ताफ़ हुसैन हाली
ग़ज़ल
अर्श मलसियानी
ग़ज़ल
जो बे-तलब मुझे बख़्शा था माँगने पे भी दे
करीम बुख़्ल ये कैसा है लुत्फ़-ए-आम के बा'द
मुनव्वर लखनवी
ग़ज़ल
बुख़्ल है करते नहीं ख़्वाबों की ख़ुशियों में शरीक
आओ हम देते हैं तुम को जो हमारे ख़्वाब हैं
गुफ़्तार ख़याली
ग़ज़ल
आसमाँ पर ता'न-ए-बुख़्ल अहल-ए-ज़मीं को है अबस
पानी पानी हो गया जब दाना दाना हो चुका
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
जौर-ओ-जफ़ा में बुख़्ल निगाह-ए-करम में उज़्र
ये क्या सुलूक है दिल-ए-दर्द-आश्ना के साथ