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ग़ज़ल
अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत
बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी
नसीर तुराबी
ग़ज़ल
निगह-ए-यार को अब क्यूँ है तग़ाफ़ुल ऐ दिल
वो तिरे हाल से ग़ाफ़िल कभी ऐसी तो न थी
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
मैं चला आया तिरा हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल ले कर
अब तिरी अंजुमन-ए-नाज़ में रक्खा क्या है
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
रफ़्ता रफ़्ता रंग लाया जज़्बा-ए-ख़ामोश-ए-इश्क़
वो तग़ाफ़ुल करते करते इम्तिहाँ तक आ गए
क़ाबिल अजमेरी
ग़ज़ल
गरचे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क़
पर हम ऐसे खोए जाते हैं कि वो पा जाए है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
किस लिए उज़्र-ए-तग़ाफुल किस लिए इल्ज़ाम-ए-इश्क़
आज चर्ख़-ए-तफ़रक़ा-पर्वाज़ की बातें करो