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ग़ज़ल
दिल हमें तड़पाए तो कैसे न हम तड़पें 'नज़ीर'
दूसरे के बस में रह कर अपनी वाली क्या करें
नज़ीर बनारसी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
बर्फ़ के आईना-ख़ानों में शो'लों का सिंगार करेंगे
ऐवानों में ऐश मना कर तड़पेंगे पत्थर दिल लोग
आबिद अदीब
ग़ज़ल
किस को ख़बर थी तड़पेंगे फ़ुर्क़त में उम्र भर
इन लम्हों के गुज़ारने के फ़िक्र में थी रात
सुधा जैन अंजुम
ग़ज़ल
तड़पें न हम तो क्या करें देख कर उस को इक निगाह
हों बिजलियाँ भरी हुई जिस चश्म-ए-सेहर-कार में
फ़ज़ल हुसैन साबिर
ग़ज़ल
कहाँ तक इंतिज़ार-ए-जल्वा में तड़पें मिरी आँखें
दिल-ए-बेताब अब घबरा गया क्या तुम न आओगे
एजाज़ क़ुरैशी
ग़ज़ल
अब्र-ए-तीरा-तार में तड़पीं हज़ारों बिजलियाँ
किस ने ये ज़ुल्फ़ों को झटका रुख़ पे बिखराने के बाद
नज़ीर हुसैन सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
कर भी दे फ़ित्ना-ए-क़ामत से कहीं हश्र बपा
तड़पें कुश्ते तिरे क़ातिल तह-ए-मदफ़न कब तक
शाह अकबर दानापुरी
ग़ज़ल
इस तरह तड़पें कि दिल को भी ख़बर होने न दें
सारी दुनिया से जुदा तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ रक्खा करें
इन्तिज़ार नईम
ग़ज़ल
ख़ून बहेगा दिल तड़पेंगे बे-सर लाशें घूमेंगी
ये मेरा ईमान है 'ज़ैदी' अम्न यहाँ भी आयेगा